हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के मिशन पर निकले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह , कर्फ्यू में मिली ढील

 मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यह राज्य की पहली यात्रा है. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी

News Jungal Desk : – हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के मिशन पर निकले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राजनीतिक एवं नागरिक संस्था के नेताओं के साथ बैठक की । और इस दौरान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी मौजूद थे । इससे पहले, उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दंगे से बुरी तरह प्रभावित हुए इलाकों में से एक चुराचांदपुर का दौरा भी किया है । इस बीच, इंफाल में कर्फ्यू में ढील के दौरान लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले है । ख्वैरामबंद बाजार क्षेत्र में लोगों की सामान्य आवाजाही देखी गई है ।

केंद्रीय मंत्री शाह सोमवार रात को विमान से इंफाल पहुंचे. उनके साथ गृह सचिव भी थे. शाह ने स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार देर रात को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, उनके कुछ कैबिनेट सहयोगियों, खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की. सूत्रों ने बताया कि बैठक में राहत संबंधी कई उपायों और पूर्वोत्तर के राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कम करने के लिए आपूर्ति बढ़ाने जैसे कदमों पर फैसला किया गया. राज्य में इस महीने की शुरुआत में जातीय हिंसा होने के बाद से यहां आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं.

मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से शाह की यह राज्य की पहली यात्रा है. सूत्रों ने कहा कि मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के साथ भी केंद्रीय गृह मंत्री बैठक कर सकते हैं. इनमें से कई तो पड़ोसी राज्य जा चुके हैं लेकिन बातचीत में शामिल होने के लिए उनके आने की संभावना है । और कुकी समुदाय के लोग जिस जिले में रहते हैं उसके लिए वे अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं और ऐसा नहीं होने पर उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग करी है ।

मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है । और कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई है । अधिकारियों के अनुसार, तीन मई को यहां जातीय दंगे की शुरुआत के बाद से दंगों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है । और एक अधिकारी ने कहा कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में तलाशी अभियान चला रहे हैं ।

मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है. कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई. अधिकारियों के अनुसार, तीन मई को यहां जातीय दंगे की शुरुआत के बाद से दंगों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है. एक अधिकारी ने कहा कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में तलाशी अभियान चला रहे हैं.

मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी. अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था. आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे. मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. नगा और कुकी समुदायों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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