Gyanvapi Case: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी कैंपस के Scientist सर्वेक्षण के लिए निर्देश की मांग वाली याचिका पर Varanasi Court ने फैसला सुनाया है।
News Jungal Desk :– Varanasi के ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी कोर्ट आज यानि fridayको फैसला सुनाएगा कि कैंपस का ASI द्वारा सर्वे होगा या नहीं? बता दें कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी कैंपस (Jnanavapi-Shrungar Gauri Campus) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश देने की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका पर वाराणसी कोर्ट आज अपना आदेश सुनाएगी। कोर्ट ने पिछले शुक्रवार (14 जुलाई) को ASI से सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर बहस पूरी कर ली थी।
याचिका इस साल मई में पांच महिलाओं की ओर से दायर की गई थी, जिन्होंने पहले एक अन्य याचिका में मंदिर परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी स्थल पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक संरचना पाई गई थी, जिसे एक पक्ष ने ‘शिवलिंग’ और दूसरी तरफ ने ‘फव्वारा’ बताया था।
Jnanavapi मामले पर हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आज जो फैसला सुनाया जाना है, वह एएसआई सर्वेक्षण पर है, जिसकी हमने मांग की थी, परिसर में सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर। सील किए गए क्षेत्र का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक उस पर फैसला नहीं सुनाया जाता है, तब तक क्षेत्र में एएसआई सर्वेक्षण नहीं किया जाना चाहिए…दोनों पक्षों ने अपने पक्ष रखे थे और Muslim side ने अपनी आपत्ति जताई थी…आज का फैसला हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा…।
मई में ASI सर्वे के लिए याचिका पर सुनवाई को सहमत हुई थी वाराणसी कोर्ट
मई में अदालत Kashi Vishwanath Temple के बगल में स्थित पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वेक्षण के लिए एक याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हुई थी। कोर्ट ने हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका स्वीकार कर ली थी। विष्णु जैन की याचिका पर विचार करने के बाद अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को हिंदू पक्ष द्वारा दी गई दलीलों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। court ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 14 जुलाई को carbon dating पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वैज्ञानिक जांच से ही हल होगा विवाद
ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हमने वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग अदालत के सामने रखी थी। जिस पर आज अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 July के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से जांच के द्वारा ही इस विवाद का हल किया जा सकता है।
कार्बन डेटिंग उम्र निर्धारित करने में कैसे मदद करती है?
जैसे ही पौधे, जानवर और मनुष्य मरते हैं, वे सिस्टम में कार्बन-14 का संतुलन बंद कर देते हैं, क्योंकि कार्बन का अवशोषण नहीं रह जाता है। इस बीच, जमा हुआ कार्बन-14 क्षय होने लगता है। वैज्ञानिक, आयु स्थापित करने के लिए कार्बन डेटिंग की बची हुई मात्रा का विश्लेषण करते हैं।
कार्बन के अलावा, पोटेशियम-40 भी एक ऐसा तत्व है जिसका विश्लेषण रेडियोधर्मी डेटिंग के लिए किया जा सकता है। पोटेशियम-40 का आधा जीवन 1.3 अरब वर्ष है, इसी प्रकार यूरेनियम -235 जिसका आधा जीवन 704 मिलियन वर्ष है और थोरियम -232 जिसका आधा जीवन 14 billion years है। इसका उपयोग चट्टान जैसी वस्तुओं के भूगर्भिक आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
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