बंगाल में मणिपुर जैसी बर्बरता, 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर चप्पलों से पीटा, जानिए पूरा मामला

 मणिपुर की घटना के बाद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में दो महिलाओं को सरेआम पीटने और उन्हें निर्वस्त्र करने का मामला सामने आया है।

News Jungal Desk : मणिपुर की घटना के बाद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में दो महिलाओं को सरेआम पीटने और उन्हें निर्वस्त्र करने का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल है। महिलाएं ही दो महिलाओं की जान की दुश्मन बन गईं। दोनों को भीड़ ने सरेआम जमकर पीटा, बाल नोचे, चप्पलों की बरसात कर दी। उनके कपड़े फाड़ डाले और अर्धनग्न कर दिया। पीड़ित महिलाएं हाथ जोड़कर बख्श देने की दुहाई मांगती रहीं, लेकिन अमनावीयता की हदें पा कर दी गईं। मामला मालदा जिले के बामनगोला थाना अंतर्गत पाकूआहाट का बताया जा रहा है।

पॉकेटमार होने की आशंका में महिलाओं को पकड़ा 

घटना 19 जुलाई की है। दो महिलाओं को पॉकेटमार होने के संदेह मे भीड़ ने पकड़ा और उन दोनों महिलाओं को पुलिस को सौंपने के बजाय उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। उनके कपड़े फाड़ दिए गए। दोनों महिलाएं चीखती रहीं, चिल्लाती रहीं मगर भीड़ ने उनकी एक नहीं सुनी और वह बार-बार लगातार उन दोनों महिलाओं की बर्बरता से पिटाई करते रहे। दोनों महिलाएं छोड़ देने के लिए हाथ जोड़कर मिन्नतें करती रहीं।

भीड़ से आवाज भी आती है कि अब छोड़ दो वरना मर जाएंगी। घटना की खबर सुन मौके पर सिविक वॉलिंटियर पहुंचे। लेकिन भीड़ को शांत करवाने में नाकाम रहे। पुलिस मौके पर तब पहुंची जब भीड़ ने उन दोनों महिलाओं को अधमरा कर चुकी थी।

बीजेपी ने कहा- बंगाल में आतंक का कहर जारी

मालदा की इस घटना को लेकर बीजेपी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में आतंक का कहर जारी है। मालदा के बामनगोला पुलिस स्टेशन के पाकुआ हाट इलाके में दो आदिवासी महिलाओं को नग्न किया गया, प्रताड़ित किया गया और बेरहमी से पीटा गया, जबकि पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यह खौफनाक घटना 19 जुलाई की सुबह घटी।

महिला सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदाय से थी और एक उन्मादी भीड़ उसके खून की प्यासी थी। यह एक ऐसी त्रासदी की ओर ले जा रहा था जिससे ममता बनर्जी का दिल ‘टूट’ जाना चाहिए था और वह केवल आक्रोश जताने के बजाय कार्रवाई कर सकती थीं, क्योंकि वह बंगाल की गृह मंत्री भी हैं। लेकिन उसने कुछ नहीं करने का फैसला किया। न तो उन्होंने इस बर्बरता की निंदा की और न ही दुख और पीड़ा व्यक्त की क्योंकि इससे एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी खुद की विफलता उजागर होती।

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