पिछले कई सालों में भारत ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। चाहे इलेक्ट्रिक बसें हों या आधुनिक ट्रेनें, भारत अपनी तकनीकी के दम पर विदेशों में अपना नाम कमा रहा है। भारत में ऐसे ही एक और नई तकनीकी का उदाहरण है यह गजब ट्रेन है जिसमें जितने अधिक ब्रेक का उपयोग किया जाएगा , रेलवे को उतना ही अधिक आर्थिक लाभ होगा।
हम बात कर रहे हैं भारत की आधुनिक ट्रेन वंदे भारत की। यह गजब ट्रेन आपको किसी एयरलाइन में यात्रा करने जैसा महसूस कराती है। वंदे भारत एक्सप्रेस में हवाई यात्रा जैसी सुविधाएँ दी गयी हैं और इसकी गति भी अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी तेज है।
रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat) पर ब्रेक लगाकर 22 लाख 55600 रुपये की बिजली बचाई है। वंदे भारत ट्रेन के इंजन में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के साथ लगे हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम से करीब 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली पैदा की गई है।
Railway Revenue Benefit
गाड़ियों में जितनी ज्यादा ब्रेक लगाई जाती है, माइलेज उतना ही कम हो जाता है। इसका मतलब है कि इससे ड्राइवर को पैसे का नुकसान होगा। लेकिन भारतीय रेलवे (Indian railways) की वंदे भारत में ये व्यवस्था उल्टी है। इस ट्रेन में ब्रेक लगाकर रेलवे मालामाल हो रहा है। रेल मंत्रालय के सूचना एवं प्रचार निदेशक शिवाजी मारुति सुतार का कहना है कि इन ट्रेनों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसके कारण ब्रेक लगाने पर स्वचालित रूप से बिजली उत्पन्न होती है। ट्रेन के ब्रेक लगाने के दौरान जितनी बिजली की खपत होती है, इंजन के गति पकड़ने पर उससे दोगुनी बिजली वापस मिल जाती है। उनका कहना है कि कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए वंदे भारत ट्रेन में रीजनरेटिव ब्रेक सिस्टम (regenerative braking system) लगाया गया है, जो 30 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा बचाता है।
इसका मतलब यह है कि इसमें जितने दफा ब्रेक (regenerative braking system in vande bharat) लगेंगे उतनी ही बिजली पैदा होगी। सिर्फ वंदे भारत एक्सप्रेस की बात करें तो भारतीय रेलवे ने करीब 10,000 रुपये की बचत की है। पिछले वित्तीय वर्ष में गोरखपुर से लखनऊ होते हुए प्रयागराज तक बिजली की लागत 22,55,600 रुपये थी । यह उसके कुल ऊर्जा व्यय का लगभग 16 प्रतिशत है।
गजब ट्रेन से होती है गजब कमाई
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि वंदे भारत में ट्रेन के इंजन में लगे रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के साथ हेड ऑन जेनरेशन (head on generation technology) सिस्टम के जरिए करीब 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली पैदा की गई है। उन्होंने बताया है कि रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के जरिए ट्रेन के ब्रेक लगने पर अपने आप बिजली पैदा हो जाती है।
जैसे ही इंजन गति पकड़ता है, ट्रेन में ब्रेक लगाने के दौरान जितनी बिजली खर्च होती है, उससे दोगुनी बिजली दोबारा पैदा होने लगती है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम काम करेगा। अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस वंदे भारत पहली बार (first vande bharat express) दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू हुई थी |
अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस वंदे भारत, जो पहली बार दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू हुई थी, आज 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुँच चुकी है। 31 मार्च 2024 तक दो करोड़ से ज्यादा लोग इससे सफर कर चुके हैं।
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