व्हेल मछली के पेट में था 44 करोड़ रुपए का खजाना, देखकर वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

व्हेल मछली के पेट में एक कीमती पत्थर पाया गया है। जिसकी कीमत 44 करोड़ भारतीय रूपए आंकी गई है। इस मृत मछली के पेट में पड़े इस 10 किलो वजनी पत्थर को देखकर सभी वैज्ञानिक हैरान हैं। वैज्ञानिकों ने इस पत्थर को व्हेल मछली की मृत्यु का संभावित कारण बताया है। बता दें पिछले महीन स्पेन के कैनरी द्वीप ला पाल्मा में नोगेल्स समुद्र तट पर इस व्हेल मछली को मृत पाया गया था।

News Jungal Desk: पिछले महीने स्पेन के कैनरी द्वीप ला पाल्मा में नोगेल्स समुद्र तट पर मृत पाई गई एक व्हेल की कीमत 44 करोड़ रुपए  से भी अधिक हो सकती है. जांच के दौरान वैज्ञानिकों को इसकी अंतड़ियों में छिपा एक बहुमूल्य खजाना मिला है. लास पाल्मास विश्वविद्यालय में पशु स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा संस्थान के प्रमुख एंटोनियो फर्नांडीज रोड्रिग्ज ने व्हेल के शव परीक्षण के दौरान पाया कि उसकी मृत्यु एक पाचन समस्या के कारण हुई थी. मछली के अंदर कुछ कठोर चीज फंसी हुई मिली, जो उसकी मृत्यु की वजह बन गई.

एक रिपोर्ट के अनुसार, लास पाल्मास विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक रोड्रिग्ज ने कहा, “मैंने जो निकाला वह लगभग 9.5 किलोग्राम वजन का एक भारी पत्थर था. किसी को पता नहीं था कि मेरे हाथों में जो था वह एम्बरग्रीस हो सकता था. यह अनुमान लगाया गया है कि रोड्रिग्ज के हाथ में जो पत्थर था उसकी कीमत 5.4 मिलियन डॉलर (लगभग 44 करोड़ रुपए) से भीअधिक हो सकती है. अब संस्थान एक ऐसे खरीदार की तलाश में है जो एम्बरग्रीस खरीद सके ताकि इससे मिलने वाला धन 2021 में ला पाल्मा पर फटे ज्वालामुखी के पीड़ितों की मदद के लिए इस्तेमाल में किया जा सके.

एम्बरग्रीस क्या है और इसका उपयोग
आम तौर पर व्हेल की उल्टी को एम्बरग्रीस कहा जाता है, व्हेल इस ठोस मोमी पदार्थ को उल्टी के रूप में पैदा करती है जिसे मछुआरे अक्सर समुद्र में तैर कर हासिल करते हैं. व्हेल के खाने का जो भाग पच नहीं पाता और उल्टी के रूप में बाहर आ जाता है. इसका कुछ हिस्सा पाचन तंत्र में रहता है और वर्षों तक आपस में जुड़कर एम्बरग्रीस बना लेता है. इसे समुद्र का खजाना या तैरता हुआ सोना भी कहते हैं क्योंकि परफ्यूम कंपनियां खुशबू बनाए रखने के लिए एम्बरग्रीस से निकाली गई एम्बरीन अल्कोहल का इस्तेमाल करती हैं. इस पत्थर की दुर्लभता के कारण इसे यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों में बैन कर दिया गया है. भारत ने भी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत एम्बरग्रीस को रखने और इसकी बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है.

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