साल 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच अबतक 18 राउंड की बातचीत हो चुकी है. जल्द ही अगले राउंड की बातचीत दोनों देशों की सेनाओं के बीच होने वाली है ।
News jungal desk: विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से सोमवार को यह साफ कर दिया गया कि चीन के साथ बॉर्डर विवाद पर बातचीत खत्म नहीं हुई है । और तीन सालों में दोनों देश इसे लेकर आगे बढ़े हैं । मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विवाद के अहम मुद्दों पर बातचीत के दौरान काफी प्रगति हुई है । ‘भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा रुकी नहीं है । और जल्द ही इसे लेकर मीटिंग होने वाली है । साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के दौरान हिंसक झड़प हुई थी ।
इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सेनाओं के स्तर पर निरंतर बातचीत हो रही है. बीती 23 अप्रैल को चुशुल मोल्डो बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच 18वें राउंड की बैठक हुई थी । जयशंकर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘बीते नौ सालों में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सरकार ने उत्तरी सीमा सहित बॉर्डर के क्षेत्रों में मूलभूत ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) के सुधार पर काफी फोकस किया है । 2014 के बाद जब भारत की तरफ से सीमा पर बुनियादी ढांचे पर बड़ा जोर दिया गया, तो चीन की तरफ से भी प्रतिस्पर्धा में गश्त बढ़ गई है ।
भारत-भूटान रेलमार्ग
विदेश मंत्री ने बोला कि , ‘हम भूटान और असम के बीच रेल लिंक पर बातचीत कर रहे हैं । पर्यटकों के लिए और अधिक प्वाइंट खोलने के लिए भूटान बहुत उत्सुक है और यह असम के लिए बहुत अच्छा है. वे बातचीत कर रहे हैं, और 24 दौर की बातचीत हो चुकी चुके हैं. अभी इसे लेकर और बैठकें आयोजित होंगी. हम ध्यान से यह देख रहे हैं कि कौन सी चीजें हमें प्रभावित कर सकती हैं. काम की गति उन्हें निर्धारित करनी है ।
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर बोलते हुए जयशंकर ने बोला , “कैलाश मानसरोवर – बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है, वहां एक सुरंग की जरूरत है, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इसपर काम कर रहा है और योजना बना रहा है, लेकिन पुरानी प्रक्रिया पर वापस आने के लिए चीन की ओर से कोई संकेत नहीं मिला है ।
म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग पर कहा, ‘वहां मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण यह राजमार्ग बड़ी चुनौती बना हुआ है. भारत को परियोजना को पूरा कर म्यांमार के सिटवे बंदरगाह तक पहुंच प्राप्त करने के लिए म्यांमार में अधिकारियों के साथ बातचीत करनी होगी.
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