बिहार की जातीय जनगणना का क्या है मकसद ? जानिए

News jungal desk :– बिहार सरकार ने राज्य में जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट के जारी के होने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। नीतीश  ने जहां कहा कि इस जनगणना के हिसाब से सभा वर्गों के विकास और उत्थान के लिए काम किया जाएगा।

  • बिहार में जाति जनगणना caste census in bihar की रिपोर्ट हुई जारी
  • राज्य की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा, नीतीश-लालू ने किया ट्वीट
  • अलग-अलग जातियों की आबादी का किया गया है पूरा जिक्र
  • बिहार की कुल आबादी

बिहार में कुल जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है.

बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन चुका है, जिसने पहली बार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए हैं.  इस जनगणना में हर उस जाति की जनसंख्या और राज्य की कुल जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी का जिक्र किया गया है.

  • किस वर्ग की कितनी जनसंख्या
  • पिछड़ा वर्ग जनसंख्या: 3 करोड़ 54 लाख 63 हजार 936
  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग जनसंख्या: 4 करोड़ 70 लाख, 80 हजार 514
  • अनुसूचित जाति जनसंख्या: 2 करोड़ 56 लाख 89 हजार 820
  • अनुसूचित जनजाति जनसंख्या: 21 लाख 99 हजार 361
  • अनारक्षित जनसंख्या: 2 करोड़ 02 लाख 91 हजार 679
  • मुसलमान- 17. 7088 फीसदी
  • यादव- 14. 2666 फीसदी
  • कुर्मी- 2.8785 फीसदी
  • कुशवाहा- 4.2120 फीसदी
  • ब्राह्मण- 3.6575 प्रतिशत
  • भूमिहार- 2.8683 प्रतिशत
  • राजपूत- 3.4505 प्रतिशत
  • मुसहर- 3.0872 प्रतिशत
  • मल्लाह- 2.6086 फीसदी
  • बनिया- 2.3155 फीसदी
  • कायस्थ- 0.60 फीसदी
  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत
  • पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत
  • अनुसूचित जाति 19.6518 प्रतिशत
  • अनुसूचित जनजाति 1.6824 प्रतिशत
  • सवर्ण 15.5224 प्रतिशत
  • इस्लाम_17.70% (23149925)
  • ईसाई_0.05% (75238)
  • सिख_0.011% (14753)
  • बौद्ध_ 0.0851% (111201)
  • जैन_0.0096% (12523)
  • अन्य धर्म_ 0.1274% (166566)
  • कोई धर्म नहीं_0.0016% (2146)

जानिए बिहार में जातिगत जनगणना का असली मकसद

बिहार में जातिगत जनगणना का जो असली मकसद है, उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार ने जो दांव करीब 15 साल पहले चला था. वो अगले चुनाव में उनके काम आने वाला है. जिसके वजह यह है कि बिहार में नीतीश कुमार के शासनकाल में बनाये गये, अति-पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी, अन्य सभी वर्गों से ज्यादा है. यही वजह है कि बिहार की सत्ता में शामिल नेता खुश हैं और उनके मुताबिक जातिगत जनगणना का कदम, ऐतिहासिक रहा है.  जिस अतिपिछड़ा वर्ग के दम पर नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में टिके हुए हैं, उसमें प्रदेश की 100 से ज्यादा जातियां शामिल हैं. नीतीश ने लोहार, कुम्हार, बढ़ई, कहार, सोनार समेत 114 जातियों को इसमें शामिल रखा था. एक ही वर्ग में इतनी सारी जातियों का आना, एकमुश्त वोट पाने का जरिया है.  ये राजनेता जानते हैं क़ि वर्ष 2024 के चुनाव में ये अतिपिछड़ा वर्ग ही, बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है. अब सवाल ये है कि जातिगत जनगणना की जरूरत क्यों पड़ी. 

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