मदरसा संचालक मसूद आलम नूरी बताते हैं कि मदरसे से जो डिग्रियां बच्चों को दी जाती हैं वह हाफिज की डिग्री होती है, आलिम और कारी की डिग्रियां होती हैं, मुफ्ती की डिग्री होती है, आलिम और फाजिल की डिग्री होती है ।
News Jungal Desk : इस्लाम धर्म में मदरसे की पढ़ाई को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस्लाम धर्म को जानने के लिए मदरसे की पढ़ाई पढ़ना आवश्यक है. मदरसों में छात्रों को इस्लामी शिक्षा दी जाती है. इनमें कुरान, हदीस, फिकाह ( इस्लामी कानून ) और इस्लाम से जुड़े दूसरे विषयों की पढ़ाई होती है. दरअसल, मदरसों में दीनी तालीम (मजहबी शिक्षा) भी पढ़ाई जाती है. जिससे कि लोगों को इस्लाम धर्म के बारे में जानने में मदद मिलती है.
मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मदरसे की डिग्रियां भी दी जाती हैं. इन डिग्रियों को पाने के बाद मदरसे से पढ़ने वाले बच्चे किसी मस्जिद के इमाम, मौलाना, मुफ्ती बनते हैं. वैसे तो मदरसे की शिक्षा हासिल करने के लिए उम्र की कोई तय सीमा नहीं है लेकिन सबसे पहली डिग्री मौलवी मुंशी को हासिल करने के लिए मदरसे में बच्चों की करीब 14 साल की उम्र को तय किया गया है. इसके बाद वह मदरसे की पढ़ाई को आगे पढ़ते हुए आगे की डिग्रियां हासिल कर सकता है.
मदरसे की यह होती है डिग्रियां
मौलवी मुंशी की डिग्री (हाई स्कूल) के बराबर मानी जाती है. जिसको पूरा करने के लिए 1 साल का समय लगता है.
अलीम की डिग्री (इंटर) के बराबर मानी जाती है. इसको पूरा करने के लिए 2 साल का समय लगता है.
फाजिल की डिग्री (बी. ए) के बराबर मानी जाती है. यह 2 साल की होती है.
कामिल की डिग्री (एम. ए) के बराबर मानी जाती है. यह डिग्री 2 साल की होती है.
मुफ़्ती की डिग्री (पीएचडी) के बराबर मानी जाती है. जिसको करने मे 3 साल का समय लगता है.
मदरसा संचालक मसूद आलम नूरी बताते हैं कि मदरसे से जो डिग्रियां बच्चों को दी जाती हैं वह हाफिज की डिग्री होती है, आलिम और कारी की डिग्रियां होती हैं, मुफ्ती की डिग्री होती है, आलिम और फाजिल की डिग्री होती है. लेकिन उस डिग्री को लेकर वह किसी मस्जिद के इमाम बन जाते हैं, किसी मदरसे में मदारिस (मदरसा संचालक) बन जाते हैं व काजी साहब बन जाते हैं. जो शादियों में निकाह पढ़ने वाले बन जाते हैं. लेकिन अगर उनको सरकारी नौकरियों की तरफ जाना है तो फिर वह क्या करते हैं कि फिर वह किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते हैं.
ऐसे मिलती है नौकरी
मसूद आलम नूरी ने बताया कि मदरसे की तालीम हासिल करने के साथ-साथ जो मदरसे यूपी गवर्नमेंट से मान्यता प्राप्त है या मौलाना आजाद एजुकेशनल सोसाइटी से मान्यता प्राप्त जैसे किसी बड़े एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में दाखिला लेते हैं उसमें फिर वह हाई स्कूल और इंटर व स्नातक की पढ़ाई करते हैं. इसके बाद वह सरकारी नौकरी के योग्य हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान के बहुत से ऐसे बड़े अधिकारी व डॉक्टर मौजूद हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत मदरसे की तालीम से ही की थी और वह आज एक आला मुकाम पर मौजूद है.
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