महिला आरक्षण बिल को लेकर काफी दिनों से इस पर चर्चा हो रही थी .लेकिन काफी वाद विवाद के बाद आखिर संसद के दोनों सदनों से महिला आरक्षण बिल पास हो गया ।
News Jungal Desk : महिला आरक्षण बिल नई संसद के लोकसभा की कार्यवाही में 19 सितम्बर को पहला महिला आरक्षण बिल women reservation bill पेश किया गया । इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया .ये बिल सदन के दोनों सदनों से पास हो चुका है । केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इस बिल को पेश किया था । इस बिल में लोकसभा तथा विधानसभा में महिलाओं को 33 % सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है । इससे ये हुआ लोकसभा तथा विधानसभा में हर तीसरी महिला सदस्य महिला होगी ।
महिला आरक्षण बिल का इतिहास
1996 में महिला आरक्षण विधेयक को एच देवगौडा सरकार ने 81 वें सविंधान सशोंधन विधेयक के रूप मेें संसद में पेश किया था । इस बिल के बाद देवगौडा सरकार अल्पमत में आ गई और 11 वी लोकसभा को भंग कर दिया गया । जून 1997 को फिर एक बार पुना प्रयास किया गया पास कराने के लिए लेकिन फिर भी असफल रहे । 12 लोकसभा में व अटल बिहारी के एनडीए सरकार में एम थंबीदुरई ने( तत्कालीन कानून मंत्री ) ने इस विधेयक को पेश करने की कोशिस की लेकिन भारी विरोध के बीच ये लैप्स हो गया । इसी क्रम में एक बार फिर एनडीए सरकार नें 13 लोकसभा 1999 में में इस विधेययक को पेश करने की कोशिश की लेकिन सफलता नही मिली इसके बाद 2002 व 2003 में फिर लाया गया ।
2008 में मनमोहन सिंह सरकार ने लोकसभा तथा विधानसभाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण से जुड़ा 108 वाॅ सविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा में पेश किया गया । इसी के दो साल बाद 2010 में तमाम राजनीतिक अवरोधों को दरकिनार कर राज्यसभा में ये विधेयक पारित कर दिया गया । राज्यसभा में 9मार्च 2010 को राज्यसभा ने महिला आरक्षण बिल को पारित कर दिया । हाॅलाकि लोकसभा में इस विधेयक पर कभी मतदान नही किया था ।
बिल को लेकर बड़ी बातें क्या हैं
सीटों को लेकर क्या बदलेगा
लोकसभा में इस टाइम 82 महिला लोकसभा की सदस्य हैं। लेकिन इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों की सीटों की सख्या 18 सीटे महिलाओं के लिए रिजर्व हो जायेगी ।
इस बिल में संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत राजधानी दिल्ली की विधानसभा में 33 प्रतिशत के आरक्षण के बाद अब 70 सीटों में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी ।
ये नियम सिर्फ लोकसभा या दिल्ली विधानसभा नही सभी राज्यों की विधानसभाओं के लिए 33% आरक्षण दिया गया है ।
कब तक के लिए रहेगा आरक्षण
इस बिल के तहत लोकसभा तथा राज्यसभा में महिलाओं के लिए ये बिल सिर्फ 15 साल तक ही महिलाओ को आरक्षण मिलेगा . । 15 साल बाद फिर इस बिल को महिला आरक्षण के लिए लाना होगा ।
एससी एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नही मिलेगा । आरक्षण की ये व्यवस्था आरक्षण के अन्दर ही की गई है ,यानी लोकसभा तथा विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी- एसटी के लिए आरक्षित हैं उन्ही सीटों के अन्दर ही 33प्रतिशत की महिलाओं के लिए होंगी ।
इस बिल के लाने का मकसत ये था की लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या बढ सके । इस समय सिर्फ 82 महिला सांसद हैं । अगली बार महिला सांसदों की संख्या181 तो होगी ही ।
राज्य सभा में नही मिलेगा आरक्षण
राज्य सभा में जिन राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है ,वहाॅ महिला आरक्षण नही लागू होगा । ये बिल कानून बनता है तो ये सिर्फ लोकसभा तथा विधानसभा के लिए लागू होगा ।
कब से लागू होगा बिल
अगर ये बिल कानून बन भी गया तो इसे लागू होने में समय लगेगा । खबरों से बता चला है कि ये परसीमन के बाद लागू किया जायेगा । 2026 के बाद लोकसभा सीटों का परसीमन होना है । इस परसीमन के बाद महिला आरक्षण बिल लागू होगा ।यानी 2024 के चुनाव के समय ये कानून नही होगा ।
संसद और अधिकतर विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी 15 प्रतिशत कम है । सरकारी ऑकडो के मुतबिक ,19 विधानसभाओँ में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी से भी कम है ।
राज्यस्थान में 12 फीसदी जबकि हिमाचल प्रदेश मे सिर्फ 1 महिला विधायक है .
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