आगरा में पशु प्रेम की अनूठी मिसाल देखने को मिली है । और यहां दो गरीब बच्चों के दोस्त मोहल्ले के दो डॉगी हैं. ये डॉगी सुबह दोनों बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं और दिनभर स्कूल के गेट पर भूखे-प्यासे बैठकर बच्चों को इंतजार करते हैं. छुट्टी होने के बाद उन्हें साथ लाकर घर छोड़ते हैं. बच्चे उन्हें जो भी खाने को देते हैं वे खा लेते हैं ।
News jungal desk :- कुछ दशक पहले आई फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ में अभिनेता जैकी श्राफ और उनके पालतू डॉगी की कहानी तो सभी को याद ही होगी .उस फिल्म में डॉगी और इंसान के बीच प्रेम का अनूठा रिश्ता दिखाया है । और ऐसी ही एक कहानी आगरा में भी देखने को मिली है. जहां झोपड़ी में रहकर घरों में काम करने वाली गरीब महिला के दो बच्चों के दोस्त दो डॉगी हैं । और बच्चों के हाथों से जूठी रोटी के टुकड़े खाकर मोहल्ले के दो बेसहारा डॉगी उनका सहारा बन गए हैं । और खास बात ये कि डॉगी रोजाना बच्चों को छोड़ने के लिए स्कूल तक जाते हैं ।
बच्चों को रास्ते में कोई परेशान न करे, इसलिए दोनों डॉगी उन्हें लेकर स्कूल तक जाते हैं और छुट्टी होने तक वहीं भूखे-प्यासे एकटक स्कूल के बंद गेट पर नजर गड़ाए रहते हैं. छुट्टी होने पर जब दोनों भाई-बहन स्कूल से बाहर आते हैं । और तो वो डॉगी उनसे लिपट जाते हैं और प्यार दुलार के बाद उन्हें वापस घर छोड़ते हैं. घर पर बच्चे जो भी रूखा-सूखा देते हैं, वो खाकर डॉगी अपना जिम्मेदारी का व्रत तोड़ते हैं. बच्चों के स्कूल में रहने के दौरान अगर कभी गेट खुला मिल जाए तो डॉगी क्लास तक पहुंच जाते हैं. मासूम भाई-बहन और पलिया, सामू नाम के डॉगी का यह प्रेम देखकर स्कूल स्टाफ भी डॉगी को भगाते नहीं है. हालांकि अन्य बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल का गेट उन्हें बंद रखना पड़ता है ।
नेहा और जय के दो अनोखे दोस्त
प्यार एक ऐसी चीज है जो जानवर को भी इंसान की तरह जिम्मेदार बना देती है. आगरा के सिकंदरा थाना इलाके के गैलाना रोड पर ऐसी ही मिसाल लोगों को रोज देखने को मिलती है. यहां झोपड़ी में रहने वाली रजनी कोठियों में झाड़ू पोछा करने का काम करती है. पति संजू अहमदाबाद में मजदूरी पर रंगाई-पुताई का काम करता है. रजनी अपने बच्चों जय (4 साल) और नेहा (5 साल) को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहती है. इसलिए उसने सरकारी स्कूल से हटा कर बच्चों को कांवेंट में दाखिला दिलाया है. प्रीमियर इंटरनेशनल स्कूल की डायरेक्टर डॉ सुमेधा सिंह का कहना है कि मां की इच्छा और स्वावलंबन को देखते हुए नाम मात्र की फीस लेकर बच्चों को प्ले ग्रुप में दाखिला दिया है ।
बच्चों के साथ रहते और खाते हैं डॉगी
स्कूल डायरेक्टर ने बताया कि बच्चों के साथ दो देसी डॉगी भी रोज आते हैं और छुट्टी तक स्कूल के गेट पर ही रहते हैं. छुट्टी में बच्चो के साथ वापस चले जाते हैं. डॉगी किसी को भी परेशान नहीं करते हैं और न ही कुछ खाते हैं. बच्चों का प्यार देखते हुए हमने भी इन्हें भगाने का प्रयास नहीं किया. मासूम जय ने बताया कि डॉगी उन्हें प्यार करते हैं और उनके साथ रहते और खाते हैं. इनकी वजह से कोई हमें परेशान नहीं करता है. बच्चों और देसी नस्ल के डॉगी की यह दोस्ती क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.
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