पूजा की घंटी में किसका चित्र होता है? क्या है इस प्रतिमा का महत्व, कितने प्रकार की होती हैं घंटियां

आपने मंदिरों के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटा लगे हुए देखा होगा. मंदिरों में पूजा आरती के समय घंटी बजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. घर के पूजा स्थल में भी घंटी रखी जाती है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस सृष्टि की रचना ध्वनि या नाद से ही हुई है.

News Jungal Desk : हिंदू धर्म में की जाने वाली पूजा पाठ में बहुत से ऐसे वाद्य यंत्र instrument हैं जिन्हें बजाने से एक अलग ही ऊर्जा की अनुभूति होती है. इन्हीं में से एक है घंटी. मंदिर या घर के पूजा स्थान पर आपने घंटी रखी हुई जरूर देखी होगी. शास्त्रों के अनुसार मानता है कि घंटी के बिना पूजा अधूरी होती है. आरती करते समय या आरती के बाद लोग घंटी बजाते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान तक पहुंचाते हैं. माना जाता है कि घंटी सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती है और वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाती है. हिंदू धर्म की हर पूजा में आरती के समय घंटी बजाते हैं, लेकिन यदि आपने कभी गौर किया होगा तो आपको घंटी के ऊपर किसी देवता का चित्र दिखाई दिया होगा. कभी आपने सोचा की ये कौन भगवान है ।

पूजा घंटी में क्यों अंकित होते हैं गरुड़ भगवान

 घरों और मंदिरों में हम जिस घंटी का उपयोग करते हैं. उस घंटी के ऊपर गरुड़ भगवान की छवि अंकित होती है. गरुड़ घंटी छोटे आकार की होती है. ऐसा माना जाता है कि गरुड़ घंटी का पूजा में इस्तेमाल करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है, कि जिस घर में गरुड़ घंटी का इस्तेमाल किया जाता है. उस घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

कौन हैं गरुड़ भगवान

हिंदू धर्म में गरुड़ देवता को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है. गरुड़ देव हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पक्षियों और भगवान के रूप में पूजा की जाती हैं. पूजा की घंटी में इनका चित्र अंकित होता है. जिसके पीछे यह माना जाता है कि यह भगवान विष्णु के वाहन के रूप में भक्तों का संदेश भगवान तक पहुंचाते हैं. इसलिए गरुड़ घंटी बजाने से मनोकामना की पूरी होती है, और प्रार्थना भक्तों से सीधे भगवान तक पहुंच जाती है.

कितनी तरह ही होती हैं घंटियां

घंटियां चार प्रकार की होती हैं पहली गरुण घंटी, दूसरी द्वार घंटी, तीसरी हाथ घंटी और चौथी घंटा. गरुड़ घंटी छोटी होती है, जिसे हाथ से बजाया जा सकता है. द्वार घंटी वह घंटी होती है, जो मंदिरों के द्वार पर लटकी हुई होती है. यह बड़ी और छोटी दोनों ही प्रकार की हो सकती है. हाथ घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है. इसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोक कर बजाते हैं, और घंटा बहुत बड़ा होता है, यह कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा हो सकता है. इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक जाती है.

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