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रामलला को लाने वाली BJP अयोध्या में कैसे हार गई?

कैसे हार गई राम की नगरी अयोध्या में BJP? जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का मुद्दा तो नहीं बना हार की वजह? यूपी में फैजाबाद सीट पर जो चौंकाने वाले नतीजे सामने आये उसने सबको हैरान कर दिया क्योंकि यह वही सीट है, जहाँ भगवान राम की नगरी अयोध्या शामिल है |

चार महीने पहले ही महज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी | यहाँ स्थानीय मुद्दे इस बार के चुनाव में हावी रहे, जिसकी वजह से बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई | रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारतीय जनता पार्टी को अयोध्या में प्रचंड जीत की उम्मीद थी |

BJP अयोध्या में कैसे हार गई

अयोध्या की वजह से बीजेपी को लगता था कि उसे इस पूरे क्षेत्र में फायदा होगा, लेकिन कैसरगंज और गोंडा सीट को छोड़कर बीजेपी अयोध्या के आसपास एक-दो नहीं 15 से ज्यादा सीटें हार गई | सपा के अवधेश प्रसाद फैजाबाद सीट पर 54,567 वोटों से जीते हैं | उन्हें कुल 5,54,289 वोट मिले | 4,99,722 वोट लल्लू सिंह को यहाँ से हासिल हुए |

तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के महज चार महीने बाद ही बीजेपी की अयोध्या में हार हो गई | आखिर अयोध्या में कैसे हार गई BJP?

कौन से मुद्दे पड़े बीजेपी पर भारी?

1) जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का मुद्दा  

बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह अयोध्या में जमीन अधिग्रहण और उसके मुआवजे को बताया जा रहा है | कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए | यहाँ तक कि दावा है कि कई लोगों को मुआवजा तक भी नहीं मिला | जिसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ देखने को मिली, जिसने बीजेपी पर विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया और बीजेपी अपनी अयोध्या सीट नहीं बचा पाई |

2) कार्यकर्ताओं की अनदेखी भी बड़ी वजह 

फैजाबाद में BJP की हार की एक और बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की अनदेखी मानी जा रही है, जिसके चलते पार्टी से सच्चिदानंद पांडेय जैसे युवा नेता टूट गए | 12 मार्च को चुनाव की घोषणा के 6 दिन पहले सच्चिदानंद ने BSP ज्वॉइन कर ली और BJP के वोट में सेंध लगाकर उन्होंने 46,407 वोट पा लिए | 

3) ग्रामीण क्षेत्रों पर बीजेपी ने नहीं किया फोकस 

अयोध्या धाम के विकास पर भारतीय जनता पार्टी ने सबसे ज्यादा फोकस किया | सोशल मीडिया से लेकर चुनाव – प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया गया, लेकिन पार्टी ने अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया |माना जाता है कि ग्रामीणों ने इसी आक्रोश के चलते बीजेपी के पक्ष में मतदान नहीं किया | 

4) अखिलेश यादव की रैलियों का असर   

फैजाबाद लोकसभा सीट में पाँच विधानसभा क्षेत्र आते हैं – दरियाबाद, बीकापुर, रुदौली, अयोध्या और मिल्कीपुर | इनमें से अखिलेश ने दो विधानसभाओं मिल्कीपुर और बीकापुर में रैलियां कीं | यहाँ उन्होंने जमीन अधिग्रहण, मुआवजे का मुद्दा, युवाओं को नौकरी जैसे मुद्दों को जनता तक पहुँचाया | इसका असर देखने को मिला कि इंडिया गठबंधन को शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में वोट मिले |

जहाँ बीकापुर क्षेत्र में बीजेपी को 92,859 वोट मिले | वहीं, सपा को 1,22,543 वोट मिले | इंडिया गठबंधन को मिल्कीपुर में 95,612, दरियावाद में 1,31,177 और रदौली में 1,04,113 वोट मिले | इस तरह फैजाबाद की 5 में से 4 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन BJP पर हावी रहा और अयोध्या शहर में इंडिया गठबंधन के मुकाबले ज्यादा वोट मिलने पर भी BJP फैजाबाद का चुनाव हार गयी |

5) जातीय समीकरण और मुस्लिम फैक्टर  

फैजाबाद सीट पर अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया | सामान्य सीट होने के बावजूद सपा ने यहाँ से अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अपने सबसे बड़े चेहरे अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद यहाँ नारा चल गया – ‘अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ पासी’ |

इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी के वोट बैंक को बाँटने में भी कामयाब रहा | इस सीट पर करीब पाँच लाख मुस्लिम वोटर हैं, वो भी इंडिया गठबंधन की ओर लामबंद हो गए और इस तरह सपा की यहाँ जीत हुई |   

6) लल्लू सिंह का संविधान को लेकर बयान  

फैजाबाद से बीजेपी सांसद और प्रत्याशी लल्लू सिंह ने ही ये बयान दिया था कि BJP को संविधान बदलने के लिए 400 सीट चाहिए | फैजाबाद में 26 फीसदी दलितों को शायद ये रास नहीं आया और BJP को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा | बीजेपी ने लल्लू सिंह के बयान से हुए नुकसान को रोकने की कोशिश की लेकिन नतीजे बताते हैं कि वो नाकाम रही |

अयोध्या में रैली के दौरान मंच से ही अखिलेश ने अवधेश प्रसाद को पूर्व विधायक कह दिया था | अखिलेश ने कहा, “आपके बहुत ही लोकप्रिय नेता पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक और विधायक…” फिर अवधेश प्रसाद द्वारा ने जब उन्हें टोका गया तो उन्होंने कहा कि क्योंकि सांसद बनने वाले हो इसलिए पूर्व विधायक बोल रहा हूँ |

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