Winter Solstice:साल में एक दिन ऐसा आता है जिसे साल का सबसे छोटा दिन कहा जाता है। इसे विंटर सोल्स्टिस या शीतकालीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन के बाद ठंड अपने चरम पर पहुंचने लगती है।
भारत में नवंबर से फरवरी तक का समय शीत ऋतु कहलाता है। इस दौरान उत्तरी भारत के क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। वहीं, शीत ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है।
आमतौर पर सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। लेकिन शीतकालीन संक्रांति वह दिन है जब दिन अपने सबसे छोटे और रात अपने सबसे लंबे समय पर होती है।
शीतकालीन संक्रांति का कारण (Winter Solstice 2024 Festival)
शीतकालीन संक्रांति का वैज्ञानिक कारण पृथ्वी के झुकाव से जुड़ा है। जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से अधिकतम दूरी पर होता है, तब उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटा और रात लंबी हो जाती है। वहीं, दक्षिणी गोलार्ध में इसका उल्टा होता है, जहां इस समय दिन बड़ा और रात छोटी होती है।
भूगोल में इसे शीत अयनांत कहा जाता है। यह हर साल 21, 22 या 23 दिसंबर को पड़ता है। इस साल 2024 में शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर को मनाई जाएगी।
21 दिसंबर 2024 का दिन (Shortest day of the year in India 2024)
21 दिसंबर 2024 को दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होगी। नासा के अनुसार, यह संक्रांति सुबह 04:20 बजे (ईस्टर्न टाइम) होगी। इस दिन सूर्य की रोशनी कितनी देर तक मिलेगी, यह आपके स्थान पर निर्भर करता है।
- सूर्योदय का समय: सुबह 7:09 बजे
- सूर्यास्त का समय: शाम 5:28 बजे
इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत पड़ती हैं, जिससे सूर्य जल्दी अस्त हो जाता है।
शीतकालीन संक्रांति का उत्सव
कई देशों में शीतकालीन संक्रांति को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन लकड़ियां जलाते हैं, नाच-गाना करते हैं और अपने परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। यह दिन सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
Winter Solstice Interesting Facts
- उत्तरी गोलार्ध में यह दिन सबसे छोटा होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह सबसे बड़ा दिन होता है।
- यह दिन सूर्य की रोशनी और पृथ्वी के झुकाव के कारण खास होता है।
- भारत में इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।
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