किडनी ,ब्लड पेशर, शुगर, लीवर और बवासीर जैसी बीमारियों में इस पौधे की पत्तियों का सेवन से मरीजों के लिए है रामबाण .
News jungal desk: कासनी का पौधा हल्दानी के वन अनुसंधान केन्द में लगाए गए थे । इस अनुसंधान से लगभग 2 लाख पौधों की विक्री हो चुकी है । कुमाऊ के अस्पताल के सबसे बड़े डाॅ सुशील तिवारी अब मरीजों को दवा के रूप मे कासनी के पौधे को उपयोग करने को लिखते हैं । कासनी का पौधा एक चमत्कारी पौधा माना जाता है । ब्लड शुगर लीवर और बवासीर जैसी बीमारियों में इस मेडिसन पौधे की पत्तियों का सेवन मरीजों के लिए रामबाण का काम कर रही है.
आयुर्वेदिक पौधे की माॅग देश में ही नही बल्कि विदेशों में भी इसकी मांग डाॅक्टर कर रहे हैं ,जिससे ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों में देने के लिए बता रहे हैं ।ये कासनी का पौधा हल्दानी के वन अनुसंधान केन्द्र में लगाया गया था ।
क्या है कासनी वनस्पति
कासनी जिसका वानस्पतिक नाम चिकोरियम इन्टाईबस है. यह एस्टेरेशिया कुल का पौधा है. स्थानीय भाषा में इसे कासनी, काशनी, कासानी आदि नामों से जाना जाता है. अंग्रेजी में इस वनस्पति को चिकोरी कहते हैं. यह मूल रूप से यूरोप के देशों में पायी जाती है. भारत में यह पौधा उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर के निचले क्षेत्रों एवं पंजाब, हरियाणा तथा दक्षिण को आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में पायी जाती है.
रोगों पर शोध
कासनी का औषधि प्रयोग कोई नया नहीं है, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध पद्धति से इस वनस्पति की औषधि बनायी जाती है. बहुत सी दवा कम्पनी इसके साल्ट को लीवर, बुखार, पेट रोगों की दवा में प्रयोग करते हैं, परन्तु कासनी का सीधे पत्ती चबाकर खाने का प्रयोग/शोध अपने आप में नया प्रयोग है. क्योंकि किसी वस्तु की दवा गोली, कैपसूल या सीरप आदि लेने पर सीधे पेट में जाता है, यदि पेट में एसिड या अन्य विकार होगा तो दवा काम नहीं करती है, जबकि कोई भी वस्तु को चबाने से उसका सीधा प्रभाव लार ग्रन्थियों से होता
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