बालासोर के भोगरई के दस वर्षीय देबाशीष पात्रा, बहनागा बाजार में हुई रेल दुर्घटना के बाद सात शवों के नीचे फंस गया था. उसके माथे और चेहरे पर कई चोटें आईं हैं. शनिवार को ग्रामीणों की मदद से उसके बड़े भाई ने उसे बचा लिया.
News Jungal Desk : ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई है । वहीं 1000 के आसपास लोग घायल हो गए है । इस रेल दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है । और घटनास्थल की तस्वीरें काफी भयावह थीं । हालांकि करीब 51 घंटे बाद फिर से ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो हई थी । इस हादसे में कई ऐसी जिंदगियां भी थीं, जिनकी बचने की कहानियां काफी मार्मिक हैं. ऐसी ही एक कहानी है दस वर्षीय बच्चे की, जिसकी जान बेहद मुश्किल से बच पाई है ।
बालासोर के भोगरई के दस वर्षीय देबाशीष पात्रा, बहनागा बाजार में हुई रेल दुर्घटना के बाद सात शवों के नीचे फंस गया था । और उसके माथे और चेहरे पर कई चोटें आईं हैं । शनिवार को ग्रामीणों की मदद से उसके बड़े भाई ने उसे बचा लिया था । पांचवीं कक्षा के छात्र देबाशीष का एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सर्जरी विभाग में इलाज चल रहा है । और वह शुक्रवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस से अपने परिवार के सदस्यों के साथ भद्रक जा रहा था ।
देबाशीष ने बताया, “मेरे पिता ने भद्रक के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस में टिकट बुक किया था, जहां चाचा और चाची हमें लेने के लिए इंतज़ार कर रहे थे । वहां से हमने पुरी जाने का प्लान बनाया था । मेरे पिता, माता और बड़े भाई ने यात्रा की योजना बनाई थी और सभी मेरे साथ यात्रा कर रहे थे ।
इसके अलावा उसने बताया, “शुक्रवार शाम को बालासोर से ट्रेन छूटने के कुछ मिनट बाद, मैं अपनी मां के बगल में बैठा था और अचानक एक बड़ी तेज आवाज़ हुई, जिसके बाद एक ज़ोर का झटका लगा और सब कुछ अंधेरा हो गया मैं होश खो बैठा. जब मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो मैं भयानक दर्द में था और लाशों के ढेर के नीचे फंसा हुआ था.’ बता दें कि उसके बड़ा भाई सुभाषीश जो दसवीं कक्षा का छात्र है, घोर अंधेरे में उसकी तलाश करता रहा था ।
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